Thursday, October 10, 2013

कल देर रात लौटने पर
मैंने अपना चश्मा जूतों वाले रैक में रख दिया,और
जूते पढ़ने की मेज़ पर

एक तवील तकलीफदेह नाकाम सफ़र से लौटने पर,
आसाइशयों की जगह किसी और चीज़ से बदलना
बहुत गलत भी तो नहीं है .

(कृपया इस बकवास को राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन कमेटी के चेयरमैन सरदार मनमोहन सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री विजय बहुगुणा के संद्धर्भ में ना पढ़ा जाए .)

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