Thursday, October 10, 2013

नींद के ताबूत में लेटे तुम ,सपनों के एक अनदेखे खंडहर की सीढियां उतरते हो |एक तरतीब से रखे होते हैं वहां ,तुम्हे पहली बार पहनाया गया पुराना कुरता,
तुम्हारी नाभि पर काले धागे में पिरोया हुआ चाँदी का घुंघरू,तुम्हारा पहला झुनझुना, लकड़ी का लाल पीले रंग में रंगा पहिये वाला फ्रेम ,एक जोड़ी छोटे से सेंडल,अक्षरज्ञान और गिनती सिखाने के लिए मोटे कागज़ पर छपी तस्वीरों वाली किताब ,तुम्हारा पहली बार लिखा छह ,जो हिंदी में लिखे सात से पूरी तरह मिलता है |नींद के ताबूत को घुन लग जाता है ,अंगड़ाई के लिए फैले तुम्हारे हाथ ताबूत की दीवारों में सुराख़ कर बाहर निकल आते हैं |आँख से पलकें धीरे से उठती हैं,और तुम सफ़ेद रंग से पुती एक छत देखते हो .....आह ! इस सफेदी को यूँ देखने के लिए तुम कितनी रंगीन चीज़ें पीछे छोड़ आये हो ……..

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