शहर के सूनेपन ,और
तुम्हारी चुप्पी
दोनों के साथ,
एक साथ निबाह और
संभव नहीं था .
इसीलिए रुई के सट्टे में
दिवालिया हुए सेठों की तरह,
मैंने रातोंरात घर छोड़ दिया
चंद तस्वीरें बुतां, कुछ हसीनो के खतूत,की
तर्ज़ पर निकलते हुए
मैंने अपने साथ रखी
एक पीले कागजों वाली कापी
जिसमे अनगिनत ख़त थे,
जो मैंने तुम्हे लिखे,और
कभी भेजे नहीं,
स्कूल की एक पोस्टकार्ड,
साइज़ फोटो जिसमें,
तुम दूसरी लाइन में ,
बाएं से चौथे नम्बर पर खड़ी हो ,और
मैं तीसरी लाइन में दायें से पांचवें ,और
उस शहर का आसमान ,
जिसमें सितारे बहुत थे, पर
चाँद एक ही .
2
समय बहुत
निकल गया है ,पर
आज भी जहाँ कहीं मैं जाता हूँ ,
हर पता
उसी पीली कापी में
लिखता हूँ ,
हर रात तुम्हारे शहर के
उसी आसमान की
चादर ओढ़ कर सोता हूँ,और
उसी तस्वीर को
धुंधलाती आँखों से
देखता हूँ ,
जिसमें सितारे बहुत हैं,पर
चाँद एक ही .
तुम्हारी चुप्पी
दोनों के साथ,
एक साथ निबाह और
संभव नहीं था .
इसीलिए रुई के सट्टे में
दिवालिया हुए सेठों की तरह,
मैंने रातोंरात घर छोड़ दिया
चंद तस्वीरें बुतां, कुछ हसीनो के खतूत,की
तर्ज़ पर निकलते हुए
मैंने अपने साथ रखी
एक पीले कागजों वाली कापी
जिसमे अनगिनत ख़त थे,
जो मैंने तुम्हे लिखे,और
कभी भेजे नहीं,
स्कूल की एक पोस्टकार्ड,
साइज़ फोटो जिसमें,
तुम दूसरी लाइन में ,
बाएं से चौथे नम्बर पर खड़ी हो ,और
मैं तीसरी लाइन में दायें से पांचवें ,और
उस शहर का आसमान ,
जिसमें सितारे बहुत थे, पर
चाँद एक ही .
2
समय बहुत
निकल गया है ,पर
आज भी जहाँ कहीं मैं जाता हूँ ,
हर पता
उसी पीली कापी में
लिखता हूँ ,
हर रात तुम्हारे शहर के
उसी आसमान की
चादर ओढ़ कर सोता हूँ,और
उसी तस्वीर को
धुंधलाती आँखों से
देखता हूँ ,
जिसमें सितारे बहुत हैं,पर
चाँद एक ही .
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