Thursday, October 10, 2013

आइये श्रीमान ! कुछ बात करते हैं .

वैसे तो बेहतर यही है कि ,
चूँकि आपके पास विगत स्मृतियों की गठरी है,
आप उसे सर के नीचे रख लें,और
अपना तकिया मुझे दे दें .

देखिये ! बतियाते हुए हम बात कर सकते हैं किसी भी विषय पर,
मसलन सपेरे की बीन के छेदों से लेकर दीन -ऐ -इलाही तक,
पर, मुझे लगता नहीं आपको इन बेकार विषयों में रूचि होगी .

सच कहूँ जनाब ! आपके माथे की लकीरों को देखते हुए,
मुझे लगता है ,आप जरासंध की मृत्यु मरेंगे,
वे आपके बेशउर दिल को दायीं और फेंकेंगे,और
बेतरतीबी से बढ़ रहे जिगर को आपके बाए हाथ रखेंगे,और
क्योंकि आपके पास सिर्फ एक अमाशय है,और
उनके पास हरे चारे की बहुतायत,तो
तय रहा भूखे तो आप नहीं ही मरेंगे .
वह जिनके पास अमाशय के साथ गर्भाशय भी है,
उनके बारे में भी गंभीरता के साथ सोचा जा रहा है .

जनाब !मैंने माना,कि
आपसे बतियाते हुए मैंने आपका तकिया ले लिया,और
अब इसे अपनी बायीं बाजू रख मैं आपको बेकार किस्सा सुना रहा हूँ,
पर हुजुर ! मेरे नाना कहते थे ,
किस्से जिंदगी से निकलते हैं और जिन्दगी किस्सा होती है,
आपका कहना भी ठीक है ,
भला मेरे बुजुर्गों के दिमागी खलल से आपका क्या वास्ता?

आप ठीक कहते हैं .यह अपना तकिया लीजिये ...हाँ थोडा और ऊपर .

आपकी गठरी और तकिया दोनों आपके सर के नीचे हैं ,
आराम से सोयियेगा !

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